तनहा.

ऑंख से ऑंख मिलाता है कोई,
दिल को खिंच लिये जाता है कोई,
बहुत हैरत है के भरी मेहफील में,
मुझ को तनहा नज़र आता है कोई।

नज़रे !

माना के आपकी नज़रो मे कुछ नही है हम,
मगर उनसे जाकर पुछो जिन्हे हासिल नही है हम।